
क्या डिजिटल पेमेंट महंगा होने वाला है? सरकार UPI और RuPay पर फिर से शुल्क लगा सकती है
Charges on UPI and RuPay payments
सरकार UPI और RuPay डेबिट कार्ड से होने वाले लेन-देन पर फिर से मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लागू करने पर विचार कर रही है। अभी तक इन डिजिटल पेमेंट्स पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता, लेकिन अब सरकार बड़े व्यापारियों से शुल्क वसूलने की योजना बना रही है। छोटे व्यापारियों को राहत मिल सकती है, जबकि बड़े कारोबारियों को ट्रांजैक्शन फीस चुकानी पड़ सकती है।
MDR क्या होता है?
MDR (Merchant Discount Rate) वह शुल्क है, जो दुकानदार बैंक या पेमेंट प्रोसेसर को डिजिटल पेमेंट को प्रोसेस करने के बदले में देते हैं। फिलहाल सरकार ने UPI और RuPay डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शंस पर इसे हटा रखा था, लेकिन अब इसे फिर से लागू करने पर विचार हो रहा है।
सरकार MDR क्यों वापस ला रही है?
बैंक और पेमेंट कंपनियों ने सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें MDR दोबारा लागू करने की सिफारिश की गई है। इसके पीछे कई कारण हैं:
- अन्य डिजिटल पेमेंट पर पहले से शुल्क लगता है
- बड़े व्यापारी Visa, Mastercard और क्रेडिट कार्ड से पेमेंट लेने पर पहले से MDR चुका रहे हैं।
- बैंक सवाल उठा रहे हैं कि UPI और RuPay पर शुल्क क्यों नहीं लगाया जा रहा?
- पेमेंट कंपनियों का बढ़ता खर्च
- पेमेंट प्रोसेसिंग, साइबर सुरक्षा, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और ग्राहक सेवा पर भारी खर्च आता है।
- बिना शुल्क के इन सेवाओं को सुचारू रूप से चलाना मुश्किल होता जा रहा है।
- सरकारी सब्सिडी में कटौती
- पहले सरकार बैंकों और पेमेंट कंपनियों को डिजिटल ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग के लिए ₹3,500 करोड़ की सब्सिडी देती थी।
- अब यह घटाकर ₹437 करोड़ कर दी गई है, जिससे बैंकों और फिनटेक कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
Charges on UPI and RuPay payments
छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी?
सरकार टियर सिस्टम लागू कर सकती है, जिसमें:
✅ छोटे व्यापारी (₹40 लाख से कम वार्षिक टर्नओवर) – या तो बहुत कम MDR देंगे या पूरी तरह छूट मिलेगी।
❌ बड़े व्यापारी (₹40 लाख से अधिक टर्नओवर) – उन्हें हर डिजिटल ट्रांजैक्शन पर शुल्क देना होगा।
बड़े व्यापारियों पर क्या असर पड़ेगा?
- बड़े व्यापारी पहले से Visa और Mastercard कार्ड ट्रांजैक्शन पर 1% तक MDR देते हैं।
- अगर UPI पर भी शुल्क लगेगा, तो उन्हें बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
- बड़ी कंपनियों का 50% से ज्यादा लेन-देन डिजिटल मोड से होता है, इसलिए वे इसे आसानी से मैनेज कर सकती हैं।
फिनटेक कंपनियों की चिंता
PhonePe, Google Pay और Paytm जैसी कंपनियों को बिना किसी फीस के काम करने से भारी नुकसान हो रहा है।
- फरवरी 2025 में 16 अरब (1.6 बिलियन) UPI ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू ₹22 लाख करोड़ थी।
- इतनी बड़ी संख्या में लेन-देन की सुरक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम अपग्रेड के लिए कंपनियों को भारी निवेश करना पड़ता है।
- बिना किसी शुल्क के इतने बड़े लेन-देन को बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।
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आगे क्या होगा?
सरकार अभी इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है। अगर MDR लागू होता है, तो छोटे व्यापारियों और आम लोगों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन बड़े व्यापारियों को डिजिटल लेन-देन पर शुल्क देना होगा।